Thursday, 25 July 2019

अनदेखी की तो खतरनाक रूप ले सकती है पाइल्स की बीमारी, ये तरीके आएंगे काम

पाइल्स की बीमारी

SANA IMC HERBAL

SAMTA NAGAR, TIMKI, TIN KHAMB CHOUK, NAGPUR,  9503593007, 7620187007

पाइल्स यानी बवासीर। इस स्थिति में बैठना भी मुश्किल हो जाता है। यह दो तरह की होती है और नजरअंदाज करने पर गंभीर रूप ले सकती है। जानें इसका इलाज और अन्य जरूरी बातें:

पाइल्स यानी बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमें बैठना भी मुश्किल हो जाता है। मेडिकल भाषा में इसे हेमरॉइड्स कहा जाता है। इस बीमारी में गुदा (ऐनस) के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहते हैं और कभी बाहर भी आ जाते हैं। 

बवासीर दो तरह की होती है-खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर (पाइल्स) में खून आता रहता है, लेकिन दर्द नहीं होता। जबकि बादी बवासीर में पेट में कब्ज बन जाती है और पेट हमेशा ही खराब रहता है। यह बीमारी 45 साल से 65 साल के लोगों में काफी आम है 


यहां कुछ घरेलू तरीके बताए जा रहे हैं, जो पाइल्स की समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं: 

एलो वेरा 
एलो वेरा में कई समस्याओं का इलाज छिपा है। यह सिर्फ स्किन को सॉफ्ट और स्पॉटलेस बनाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि पाइल्स की बीमारी में भी यह काफी आराम देता है। हालांकि पाइल्स के लिए फ्रेश एलो वेरा जैल यानी एलो वेरा की पत्ती से तुरंत निकाला गया जैल यूज करना चाहिए। इस जैल को पाइल्स वाले हिस्से में बाहर की तरफ लगाएं। दिन में कम से 2-3 बार इस जैल को लगाएं। 

(ध्यान रखें: कुछ लोगों को एलो वेरा से एलर्जी होती है। ऐसे लोग एलो वेरा का इस्तेमाल डॉक्टर से पूछकर करें। नहीं तो स्किन के किसी हिस्से पर लगाकर देख लें कि कहीं दर्द या झनझनाहट तो नहीं हो रही। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर एलो वेरा को पाइल्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।) 

आइस पैक 
आइस पैक को भी पाइल्स की बीमारी में काफी लाभदायक माना गया है। प्रभावित हिस्से पर आइस पैक से सिकाई करें। चाहे तो बर्फ के टुकड़े लेकर उन्हें एक कपड़े में लपेट लें और फिर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। रोजाना 5 से 10 मिनट इस तरह सिकाई करने से पाइल्स की समस्या में आराम मिलेगा। 

हॉट वॉटर बाथ 
हॉट वॉटर बाथ यानी गरम पानी में नहाने से भी बवासीर यानी पाइल्स में राहत मिलती है। इससे सूजन और खुजली कम हो जाती है। इसके अलावा नारियल का तेल भी फायदा पहुंचाता है। प्रभावित हिस्से पर नारियल तेल लगाने से सूजन और खुजली कम हो जाती है। 

इन नुस्खों के अलावा अपने रूटीन और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी पाइल्स की बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे कि: 

-रोजाना भरपूर मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं। 
-फाइबर से भरपूर खाना खाएं। फाइबर हमारे पाचन सिस्टम के लिए बेहद जरूरी होता है और बाउल मूवमेंट में भी मदद करता है। इसके अलावा फाइबर मल को भी सॉफ्ट बनाने में हेल्प करते हैं ताकि वह आसानी से शरीर से बाहर निकल पाए। 
-हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें और प्राइवेट हिस्से की नियमित तौर पर सफाई करें। 

(नोट: पाइल्स की समस्या होने पर किसी भी तरह की लापरवाही न करें और सिर्फ घरेलू नुस्खों के भरोसे ही न रहें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज कराएं। नहीं तो यह बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।) 

पाइल्स या बवासीर का इलाज 
बात करें पाइल्स के इलाज की, तो इसके लिए कई तरीके उपलब्ध हैं। जैसे कि: 
1- दवाई के जरिए भी पाइल्स का इलाज किया जा सकता है लेकिन वह भी तब जब पाइल्स स्टेज 1 या 2 का हो। ऐसे में सर्जरी की जरूरत नहीं होती। एनोवेट और फकटू पाइल्स पर लगाने की दवाएं हैं। इनमें से कोई एक दवा दिन में तीन बार पाइल्स पर लगाई जा सकती है। इन दवाओं को डॉक्टर से पूछकर ही लगाना चाहिए। 

2- अगर मस्से थोड़े बड़े हैं तो रबर बैंड लीगेशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें मस्सों की जड़ पर एक या दो रबर बैंड को बांध दिया जाता है, जिससे उनमें ब्लड का प्रवाह रुक जाता है। इसमें डॉक्टर एनस के भीतर एक डिवाइस डालते हैं और उसकी मदद से रबर बैंड को मस्सों की जड़ में बांध दिया जाता है। इसके बाद एक हफ्ते के समय में ये पाइल्स के मस्से सूखकर खत्म हो जाते हैं। 

3- इस तरीके का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब मस्से छोटे होते हैं। स्टेज 1 या 2 तक इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें मरीज को एक इंजेक्शन दिया जाता है। इससे मस्से सिकुड़ जाते हैं और उसके बाद धीरे-धीरे शरीर के द्वारा ही अब्जॉर्ब कर लिए जाते हैं। अगर मस्से बाहर आकर लटक गए हैं तो इस तरीके का इस्तेमाल नहीं किया जाता। 

4- मस्से अगर बहुत बड़े हैं और दूसरे तरीके फेल हो चुके हैं तो हेमरॉयरडक्टमी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह सर्जरी का परंपरागत तरीका है। इसमें अंदर के या बाहर के मस्सों को काटकर निकाल दिया जाता है। 

5- स्टेज 3 या 4 के पाइल्स के लिए ही इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। बाहर निकले हुए मस्से को एक सर्जिकल स्टेपल के जरिये वापस अंदर की ओर भेज दिया जाता है और ब्लड सप्लाई को रोक दिया जाता है जिससे टिशू सिकुड़ जाते हैं और बॉडी उन्हें अब्जॉर्ब कर लेती है। 


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